मैं देश नहीं मिटने दूंगा
मैं देश नहीं बिकने दूंगा
मैं देश नहीं झुकने दूंगा
70 साल में कांग्रेस ने किया ही क्या है
70 साल में कांग्रेस ने देश को बर्बाद कर दिया
अब नया
क्या आप भारत के नागरिक हैं ?
ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक कथन हैं। यह तथ्य है कि देश की संपत्ति यानि सार्वजनिक उपक्रम एक-एक करके बेचे जा रहे हैं। यह विनिवेश के लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बड़ा कदम है। विनिवेश किसका भारतीय रेलवे का, हवाई अड्डों का, सार्वजनिक उपक्रमों का। देश अगर इनसे मिल कर नहीं बनता तो...क्या नागरिकों से बनता है ? तो बताइए देश का नागरिक कौन है...वही जिसके पास आधार कार्ड है...जी नहीं। वही जिसके पास वोटर आईडी है..जी नहीं। वही जिसके पास आयकर विभाग का पैन कार्ड है...जी नहीं। वही जिसे देख कर दूसरे देशों में हमें भारतीय माना जाता है यानी पासपोर्ट...जी नहीं...। यह जी नहीं, भारत के गृहमंत्री अमित शाहजी ने कहा है।
तो भारतीय नागरिक है कौन ?..पता नहीं अभी तक तय हुआ किस कागज के आधार पर भारत की नागरिकता तय की जाएगी। नागरिकता एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर आफ सिटीज़नशिप के आधार पर तय होगी। भारत में दशकों से रहने वाले किसी व्यक्ति का नाम यदि सरकारी अफसरों ने इस रजिस्टर में दर्ज कर लिया तो वह भारत का नागरिक अन्यथा आप आधार, वोटरआईडी, पैन कार्ड, पासपोर्ट लेकर घूमते रहिए आपको घुसपैठिया माना जाएगा भले ही आपके पुरखे सदियों से इसी भारत भूमि पर रहते आए हों।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान में बड़े गुस्से में विपक्ष को ललकार कर कहा था कि जब से उनकी सरकार बनी है एनआरसी शब्द तक पर कोई चर्चा नहीं हुई। यह अलग बात है कि उनके गृहमंत्री अमित शाह जी ने संसद में क्रोनोलाजी बताई थी और कहा था एनआरसी केवल बंगाल में नहीं पूरे देश में लागू होगी। प्रधानमंत्री के बयान के बाद से वे खामोश हैं। उधर, एनआरसी असम में लगभग पूरी हो चुकी है और भारत का ही एक राज्य है। वहां एनआरसी आने से पहले कहा गया था कि असम में ढाई करोड़ घुसपैठिए हैं..फिर कहने वाले को पता चला कि राज्य की कुल आबादी ही करीब तीन करोड़ है। फिर एनआरसी हुई, करीब 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गए। राज्य में भाजपा की सरकार हिंदुओं के नाम पर बनी थी इस सूची से बाहर हुए लोगों में 16 लाख हिंदू हैं। अब तो चक्कर पड़ गया। जिनके वोटों से जीते, सरकार बनाई वही लोग भारत के नागरिक साबित नहीं हो सके।
तब रास्ता निकाला गया..सीएए का। यानि नागरिकता संशोधन कानून। नागरिकता कानून तो 1955 में ही लागू हो गया था। संशोधन कानून का विरोध हुआ तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने डंके की चोट पर कहा यह कभी वापस नहीं होगा, हम एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे इस सीएए के खिलाफ।
तो फिर सीएए क्या है जिसका अचानक विरोध होने लगा वह भी संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ? सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून- 2019। कुल दो पन्नों का यह नागिरकता संशोधन कानून सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने नेताओं के मुताबिक किसी भारतीय की नागरिकता छीनने का कानून नहीं हैं, विपक्ष इसके बारे में भ्रम फैला रहा है। खुद केंद्रीय गृहमंत्री, भाजपा के सभी सांसद, मुख्यमंत्री और विधायक देशभर को यह चिल्ला चिल्ला कर बता रहे हैं। इनमें से कोई भी इसके प्रावधानों का जिक्र नहीं कर रहा। केवल यह कह रहे हैं कि यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई लोगों के लिए हैं। टीवी चैनलों पर बहस हो रही है कि सीएए का विरोध करने वाले नहीं चाहते कि पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदुओं को भारत की नागरिकता मिले। प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस में 70 साल में कानून लाने की हिम्मत नहीं थी।
हकीकत क्या है ?
सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून। मतलब कोई नागरिकता कानून पहले से है जिसमें संशोधन किया गया है। जी हां, यह 1955 में लागू हुए मूल भारतीय नागरिकता कानून में संशोधन है।
1. सीएए में 6 धर्मों का उल्लेख है लेकिन मुस्लिम शब्द का उल्लेख नहीं है जबकि इससे पहले किसी भी धर्म का जिक्र नहीं था।
2. सरकार द्वारा कहा गया कि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे इस्लामी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे धार्मिक रूप से उत्पीड़ित लोगों के लिए है।
a. दो पन्नों के इस संशोधन कानून में कहीं नहीं लिखा कि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए लोगों को नागरिकता देने के लिए है।
b. पाकिस्तान और अफगानिस्तान घोषित इस्लामी देश हैं लेकिन बांग्लादेश 'गण प्रजातांत्रिक बांग्लादेश' है। यह दुनिया का आठवां सबसे अधिक आबादी वाला देश है। वहां की सरकारी भाषा बंगाली है। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक 14,97,72,364 की आबादी में से 98 प्रतिशत बंगाली और दो प्रतिशत अल्पसंख्यक (चकमा, बिहारी, मामा,संथाल, म्रो, तन्चांग्या, बाम, त्रिपुरी, खूमी, कूकी, गारो और विष्णुप्रिया मणिपुरी) हैं। धार्मिक आधार पर बांग्लादेश में 89.5 प्रतिशत इस्लाम, 8.5 हिंदू, 0.6 प्रतिशत बौद्ध व 0.4 प्रतिशत ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।
3. नागरिकता संशोधन कानून में लिखा है कि इन तीन देशों से आए 6 धर्मों के लोगों को मूल कानून में बताए 11 साल के बजाय 5 साल भारत में रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी। ऐसा करने की जरूरत क्या है, यह किसी ने नहीं बताया।
4. सीएए में कहा गया है कि तीन देशों से आए 6 धर्मों के लोग अगर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके थे तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। यह तारीख कैसे तय की गई यह कोई नहीं बता रहा।
5. इस संशोधन कानून में लिखा है कि इन तीन देशों के 6 धर्मों के लोग 31 दिसंबर 2014 तक चाहे अवैध रूप से भारत आए हों, चाहे पासपोर्ट-वीज़ा लेकर उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी।
6. जिन लोगों को नागरिकता दी जानी है, उन पर चल रहे अवैध घुसपैठ या नागरिकता संबंधी या अन्य तरह के मामले कुछ किंतु परंतु के साथ हटा लिए जाएंगे या चलने दिए जाएंगे।
7. अब खास बात - यह संशोधन कानून बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन -1873 के तहत घोषित इनर लाइन वाले राज्यों में लागू नहीं होगा। (यह याद रखें- 1873...1905 बंगाल विभाजन, 1947 अलग पूर्वी पाकिस्तान, 1972 बांग्लादेश), असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के कबायली इलाकों में लागू नहीं होगा।
8. इसमें उल्लेख है कि जिन्हें पासपोर्ट कानून- 1920 के सेक्शन 3 के सब सेक्शन 2 के क्लाज़ c के तहत छूट मिली हुई है या 1946 के फारेनर्स एक्ट के तहत छूट मिली हुई है उन्हें अवैध आप्रवासी नहीं नहीं माना जाएगा यानि वे घुसपैठिए नहीं तन के साथ राजसाही खत्म हुई। फिर सोवियत कब्जे से तालिबान के कब्जे तक का पूरा इतिहास है। इधर,होंगे।
(यह याद रखें 1919 में तीसरे आंग्ल-अफगान युद्ध के बाद अफगानिस्तान ब्रिटिश शासन से आजाद हो गया, अमानुल्ला खान की राजशाही आई, 50 साल बाद 1978 में ज़हीर शाह के प 1920 और 1946 के बाद 1947 में भारत का विभाजन हुआ, 1950 में भारत गणतंत्र बना और 1955 में नागरिकता कानून बना)
4 खास सवाल
1. विदेश से आए लोगों को 11 साल के बजाय केवल 5 साल में भारत की नागरिकता देने की जल्दबाजी क्या है
3 1920 और 1946 के कानूनों का जिक्र क्यों जबकि 1947 में भारत आजाद हो चुका 1950 में भारत का संविधान बन चुका और 1955 में भारतीय नागरिकता कानून बन चुका
4, 18 73 के ईस्ट बंगाल नोटिफिकेशन का जिक्र क्यों जबकि 1905 में बंगाल का विभाजन हो चुका 1947 में पूर्वी बंगाल पूर्वी पाकिस्तान बन चुका और 1972 में पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन चुका
मैं देश नहीं बिकने दूंगा
मैं देश नहीं झुकने दूंगा
70 साल में कांग्रेस ने किया ही क्या है
70 साल में कांग्रेस ने देश को बर्बाद कर दिया
अब नया
क्या आप भारत के नागरिक हैं ?
ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐतिहासिक कथन हैं। यह तथ्य है कि देश की संपत्ति यानि सार्वजनिक उपक्रम एक-एक करके बेचे जा रहे हैं। यह विनिवेश के लक्ष्य की प्राप्ति की ओर बड़ा कदम है। विनिवेश किसका भारतीय रेलवे का, हवाई अड्डों का, सार्वजनिक उपक्रमों का। देश अगर इनसे मिल कर नहीं बनता तो...क्या नागरिकों से बनता है ? तो बताइए देश का नागरिक कौन है...वही जिसके पास आधार कार्ड है...जी नहीं। वही जिसके पास वोटर आईडी है..जी नहीं। वही जिसके पास आयकर विभाग का पैन कार्ड है...जी नहीं। वही जिसे देख कर दूसरे देशों में हमें भारतीय माना जाता है यानी पासपोर्ट...जी नहीं...। यह जी नहीं, भारत के गृहमंत्री अमित शाहजी ने कहा है।
तो भारतीय नागरिक है कौन ?..पता नहीं अभी तक तय हुआ किस कागज के आधार पर भारत की नागरिकता तय की जाएगी। नागरिकता एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर आफ सिटीज़नशिप के आधार पर तय होगी। भारत में दशकों से रहने वाले किसी व्यक्ति का नाम यदि सरकारी अफसरों ने इस रजिस्टर में दर्ज कर लिया तो वह भारत का नागरिक अन्यथा आप आधार, वोटरआईडी, पैन कार्ड, पासपोर्ट लेकर घूमते रहिए आपको घुसपैठिया माना जाएगा भले ही आपके पुरखे सदियों से इसी भारत भूमि पर रहते आए हों।
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामलीला मैदान में बड़े गुस्से में विपक्ष को ललकार कर कहा था कि जब से उनकी सरकार बनी है एनआरसी शब्द तक पर कोई चर्चा नहीं हुई। यह अलग बात है कि उनके गृहमंत्री अमित शाह जी ने संसद में क्रोनोलाजी बताई थी और कहा था एनआरसी केवल बंगाल में नहीं पूरे देश में लागू होगी। प्रधानमंत्री के बयान के बाद से वे खामोश हैं। उधर, एनआरसी असम में लगभग पूरी हो चुकी है और भारत का ही एक राज्य है। वहां एनआरसी आने से पहले कहा गया था कि असम में ढाई करोड़ घुसपैठिए हैं..फिर कहने वाले को पता चला कि राज्य की कुल आबादी ही करीब तीन करोड़ है। फिर एनआरसी हुई, करीब 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गए। राज्य में भाजपा की सरकार हिंदुओं के नाम पर बनी थी इस सूची से बाहर हुए लोगों में 16 लाख हिंदू हैं। अब तो चक्कर पड़ गया। जिनके वोटों से जीते, सरकार बनाई वही लोग भारत के नागरिक साबित नहीं हो सके।
तब रास्ता निकाला गया..सीएए का। यानि नागरिकता संशोधन कानून। नागरिकता कानून तो 1955 में ही लागू हो गया था। संशोधन कानून का विरोध हुआ तो प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने डंके की चोट पर कहा यह कभी वापस नहीं होगा, हम एक इंच पीछे नहीं हटेंगे। देश भर में विरोध प्रदर्शन होने लगे इस सीएए के खिलाफ।
तो फिर सीएए क्या है जिसका अचानक विरोध होने लगा वह भी संसद के दोनों सदनों से पारित होने और राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ? सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून- 2019। कुल दो पन्नों का यह नागिरकता संशोधन कानून सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने नेताओं के मुताबिक किसी भारतीय की नागरिकता छीनने का कानून नहीं हैं, विपक्ष इसके बारे में भ्रम फैला रहा है। खुद केंद्रीय गृहमंत्री, भाजपा के सभी सांसद, मुख्यमंत्री और विधायक देशभर को यह चिल्ला चिल्ला कर बता रहे हैं। इनमें से कोई भी इसके प्रावधानों का जिक्र नहीं कर रहा। केवल यह कह रहे हैं कि यह पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाई लोगों के लिए हैं। टीवी चैनलों पर बहस हो रही है कि सीएए का विरोध करने वाले नहीं चाहते कि पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हिंदुओं को भारत की नागरिकता मिले। प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस में 70 साल में कानून लाने की हिम्मत नहीं थी।
हकीकत क्या है ?
सीएए यानि नागरिकता संशोधन कानून। मतलब कोई नागरिकता कानून पहले से है जिसमें संशोधन किया गया है। जी हां, यह 1955 में लागू हुए मूल भारतीय नागरिकता कानून में संशोधन है।
1. सीएए में 6 धर्मों का उल्लेख है लेकिन मुस्लिम शब्द का उल्लेख नहीं है जबकि इससे पहले किसी भी धर्म का जिक्र नहीं था।
2. सरकार द्वारा कहा गया कि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे इस्लामी देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे धार्मिक रूप से उत्पीड़ित लोगों के लिए है।
a. दो पन्नों के इस संशोधन कानून में कहीं नहीं लिखा कि यह पाकिस्तान, बांग्लादेश या अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए लोगों को नागरिकता देने के लिए है।
b. पाकिस्तान और अफगानिस्तान घोषित इस्लामी देश हैं लेकिन बांग्लादेश 'गण प्रजातांत्रिक बांग्लादेश' है। यह दुनिया का आठवां सबसे अधिक आबादी वाला देश है। वहां की सरकारी भाषा बंगाली है। 2011 के आंकड़ों के मुताबिक 14,97,72,364 की आबादी में से 98 प्रतिशत बंगाली और दो प्रतिशत अल्पसंख्यक (चकमा, बिहारी, मामा,संथाल, म्रो, तन्चांग्या, बाम, त्रिपुरी, खूमी, कूकी, गारो और विष्णुप्रिया मणिपुरी) हैं। धार्मिक आधार पर बांग्लादेश में 89.5 प्रतिशत इस्लाम, 8.5 हिंदू, 0.6 प्रतिशत बौद्ध व 0.4 प्रतिशत ईसाई धर्म को मानने वाले हैं।
3. नागरिकता संशोधन कानून में लिखा है कि इन तीन देशों से आए 6 धर्मों के लोगों को मूल कानून में बताए 11 साल के बजाय 5 साल भारत में रहने पर ही नागरिकता दे दी जाएगी। ऐसा करने की जरूरत क्या है, यह किसी ने नहीं बताया।
4. सीएए में कहा गया है कि तीन देशों से आए 6 धर्मों के लोग अगर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके थे तो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी। यह तारीख कैसे तय की गई यह कोई नहीं बता रहा।
5. इस संशोधन कानून में लिखा है कि इन तीन देशों के 6 धर्मों के लोग 31 दिसंबर 2014 तक चाहे अवैध रूप से भारत आए हों, चाहे पासपोर्ट-वीज़ा लेकर उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी।
6. जिन लोगों को नागरिकता दी जानी है, उन पर चल रहे अवैध घुसपैठ या नागरिकता संबंधी या अन्य तरह के मामले कुछ किंतु परंतु के साथ हटा लिए जाएंगे या चलने दिए जाएंगे।
7. अब खास बात - यह संशोधन कानून बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन -1873 के तहत घोषित इनर लाइन वाले राज्यों में लागू नहीं होगा। (यह याद रखें- 1873...1905 बंगाल विभाजन, 1947 अलग पूर्वी पाकिस्तान, 1972 बांग्लादेश), असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के कबायली इलाकों में लागू नहीं होगा।
8. इसमें उल्लेख है कि जिन्हें पासपोर्ट कानून- 1920 के सेक्शन 3 के सब सेक्शन 2 के क्लाज़ c के तहत छूट मिली हुई है या 1946 के फारेनर्स एक्ट के तहत छूट मिली हुई है उन्हें अवैध आप्रवासी नहीं नहीं माना जाएगा यानि वे घुसपैठिए नहीं तन के साथ राजसाही खत्म हुई। फिर सोवियत कब्जे से तालिबान के कब्जे तक का पूरा इतिहास है। इधर,होंगे।
(यह याद रखें 1919 में तीसरे आंग्ल-अफगान युद्ध के बाद अफगानिस्तान ब्रिटिश शासन से आजाद हो गया, अमानुल्ला खान की राजशाही आई, 50 साल बाद 1978 में ज़हीर शाह के प 1920 और 1946 के बाद 1947 में भारत का विभाजन हुआ, 1950 में भारत गणतंत्र बना और 1955 में नागरिकता कानून बना)
4 खास सवाल
1. विदेश से आए लोगों को 11 साल के बजाय केवल 5 साल में भारत की नागरिकता देने की जल्दबाजी क्या है
2, 31 अक्टूबर 2014 की डेडलाइन क्यों
3 1920 और 1946 के कानूनों का जिक्र क्यों जबकि 1947 में भारत आजाद हो चुका 1950 में भारत का संविधान बन चुका और 1955 में भारतीय नागरिकता कानून बन चुका
4, 18 73 के ईस्ट बंगाल नोटिफिकेशन का जिक्र क्यों जबकि 1905 में बंगाल का विभाजन हो चुका 1947 में पूर्वी बंगाल पूर्वी पाकिस्तान बन चुका और 1972 में पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश बन चुका